2014 वो साल था जिसे कांग्रेस शायद ही भूल पाए। इस साल न केवल ब्रांड मोदी का उदय हुआ, बल्कि कांग्रेस का सूरज डूब भी गया था। नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतकर जब संसद भवन की सीढ़ियों पर सिर झुकाकर नमन किया था तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि विपक्ष के हाथ से ना केवल एक एक करके राज्य फिसलते चले जाएंगे बल्कि बीजेपी को मात देना भी एक सपना सरीखा हो जाएगा। आज विपक्ष कमजोर और निरीह बन चुका है और इसका अगर श्रेय किसी को जाता है तो वो केवल और केवल पीएम नरेंद्र मोदी है। पीएम मोदी की नीतियां और रणनीतियां विपक्ष या तो समझ नहीं पा रहा है या फिर समझकर भी कुछ कर पाने में नाकामयाब रहा है।
जहां एक तरफ विपक्ष सिकुड़ रहा है तो वही भाजपा निरंतर आगे बढ़ रही है।
लगातार बढ़ रहा पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का विजय रथ
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र, असम और हरियाणा के अलावा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई। गौरतलब है कि इसके पहले इन राज्यों में बीजेपी का कोई ज्यादा प्रभुत्व नही था। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के मजबूत गढ़ में सेंध लगाई। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ मिलकर पहली बार सरकार बनाई। उत्तराखंड में पहली बार कोई पार्टी सत्ता में लौटी तो वो बीजेपी थी। इस करिश्मे का श्रेय भी केवल और केवल पीएम मोदी को ही जाता है।उत्तर प्रदेश में कमाल ही हो गया। आज़ादी के बाद पहली दफा कोई मुख्यमंत्री लगातार जीतकर दोबारा सत्ता में लौटा। गजरात में पिछले विधानसभा चुनाव के समय लगा था कि भाजपा की स्तिथि अधर में है लेकिन ऐन वक़्त पर पीएम मोदी ने ऐसा करिश्मा दिखाया कि बीजेपी की फिर से सत्ता में वापसी हो गई।
पीएम मोदी के लगातार चुनाव जीतने के पीछे के कुछ कारण
देश के इस वर्तमान दौर में विपक्षी पार्टियों में टकराव है। सभी बिखरे हुए है। कांग्रेस के ऊपर लगे घोटालों के आरोपों के दाग अभी धुले नही है और वर्तमान में पार्टी की संगठनात्मक स्तिथि भी कमजोर ही है। दक्षिण भारत में भी एक सशक्त विपक्षी एकता का अभाव है। इन सबके साथ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उज्जवला, फ्री राशन, हर घर जल जैसे कई योजनाएं संचालित हो रही है जिनका जनमानस में काफी सकारात्मक असर है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि नए कांग्रेस अध्यक्ष पीएम मोदी के विजय रथ को कैसे रोकते है?