महाराष्ट्र में एनसीपी में फूट पड़ी है. अजित पवार ने एक बार फिर चाचा शरद पवार के साथ बगावत कर दी है. बताया जा रहा है कि अजित पवार की बगावत में उनके साथ एनसीपी के कई नेता शामिल हैं. बता दें कि इस बगावत की जड़ शरद पवार का वो फैसला बताया जा रहा है जिसमें उन्होंने पटना में विपक्षी एकता की बैठक में राहुल गांधी के साथ मंच शेयर करने का फैसला लिया था. वहीं, कहा तो ये भी जा रहा है कि अजित पवार के साथ गए विधायक शरद पवार के इस फैसले से नाराज थे.
अचानक बैठक बुलाई, खेल पलटा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अचानक एनसीपी नेताओं की बैठक अजित पवार के आवास पर बुलाई गई. बताया जा रहा है कि इस बैठक में शामिल होने के लिए एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल समेत कई नेता पहुंचे थे. इस बैठक को लेकर शरद पवार का कहना है कि बैठक किस लिए बुलाई गई है ये तो पता नहीं लेकिन विपक्ष का नेता होने के नाते अजीत पवार को विधायकों की बैठक बुलाने का पूरा अधिकार है. हालांकि, शरद पवार को इस बैठक का उद्देश्य नहीं पता था लेकिन इस सब के बाद अब उनका कहना है कि, ‘यह छोटी बात नहीं है…उन्होंने कहा यह गुगली नहीं लूट है…मैं यह कभी नहीं कहूंगा कि मेरा घर बंट गया है यह मसला मेरे घर का नहीं है यह लोगों का मसला है. मुझे उन लोगों के भविष्य की चिंता है जो चले गए…मैं इसका श्रेय पीएम मोदी को देना चाहता हूं, 2 दिन पहले उन्होंने बयान दिया था और उस बयान के बाद कुछ लोग असहज महसूस करने लगे थे…’ इतना ही नहीं शरद पवार इस बड़े फेरबदल को लेकर कई बड़ी बातें भी कहीं.
पहले भी अजित पवार ने की थी बगावत
आपको बता दें कि मीडिया की खबरों में ऐसा पहली बार नहीं है जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार से अजीत पवार ने बगावत की है. इससे पहले साल 2019 में अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तब भी शपथ ग्रहण समारोह बिल्कुल हड़बड़ी में हुआ था. वहीं, अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि, ‘अब मुझे बहुत से लोगों के फोन आ रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई लोगों ने मुझे फोन किया है, आज जो कुछ भी हुआ मुझे उसकी चिंता नहीं है…’ शरद पवार का कहना है कि वह भी अगले दो-तीन दिनों में जल्द ही बैठक करेंगे. बताते चलें कि आगामी साल 2024 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सियासी उथल-पुथल अभी से तेज हो गई है. देखना होगा कि आगामी चुनाव पर इसका कैसा असर पड़ेगा.