महाराष्ट्र की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. साल 2019 में भी सियासी उलटफेर होने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया उबाल आया था तो वहीं अब अचानक से एक बैठक के बाद अजित पवार के डिप्टी सीएम की शपथ लेने से भी महाराष्ट्र राजनीति में सियासी उबाल आ गया है लेकिन इससे हर ओर खलबली मच गई है. महाराष्ट्र की राजनीति की हवा बिहार और उत्तर प्रदेश में भी देखी जा सकती है लेकिन बात पहले महाराष्ट्र की करें तो इसमें बताया जा रहा है कि अजीत पवार के सरकार में शामिल होने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना से नाराजगी बढ़ गई है, सीएम ने तो राष्ट्रपति के एक कार्यक्रम से थोड़ी दूरी भी बना ली थी. बता दें कि जबसे अजित पवार सरकार में शामिल हुए तबसे कुछ ना कुछ नया देखने को मिल ही रहा है ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि एनसीपी विधायकों को मंत्री पद मिलने से शिवसेना में नाराजगी थी.
स्थिति में सुधार की आशंका कम!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा बताया जा रहा है कि अगर महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिति को संभाला नहीं गया तो आंतरिक कलह बाहर आ सकती है और स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है क्योंकि जिन भी 9 विधायकों ने अभी मंत्री पद की शपथ ली है उनकी अपने-अपने क्षेत्र में बीजेपी और शिवसेना के साथ कम पटती है यानी कि आपस में तनावपूर्ण माहौल रहता है. साल 2019 के चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था.
शिंदे सेना को कद घटने का डर!
आपको बता दें कि खबरें ऐसी हैं कि एनसीपी के सरकार में शामिल होने के बाद शिवसेना विधायकों को अपना कद घटने का डर है क्योंकि अधिकांश नए विधायक महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े दिग्गजों में गिने जाते हैं ऐसे में यह डर होना लाजमी भी है. शिंदे सेना को डर है कि उनकी स्थिति महविकास अघाड़ी जैसी हो सकती है. बताते चलें कि महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर होना कोई बड़ी बात नहीं है. हालांकि, देखने वाली बात अब ये है कि हाल ही में हुए फेरबदल का आगामी चुनाव पर कैसा असर पड़ेगा.