बांग्लादेश में भड़की हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने बयान देते हुए कहा कि, ‘भारत सरकार इस बात पर फैसला करेगी कि इस मुद्दे (बांग्लादेश) से कैसे निपटा जाए. सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील है कि, वह भड़काऊ टिप्पणियां करने से बचें जो बंगाल या देश में शांति को बाधित कर सकती हैं.’ बता दें कि बांग्लादेश में भड़की हिंसा में अब तक कुल 100 लोगों की मौत हो चुकी है.
सीएम ममता बनर्जी ने की शांति की अपील
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगे बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘बीजेपी के कुछ नेता पहले ही इस पर टिप्पणी कर चुके हैं, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए… बंगाल की सीएम ने इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की और कहा कि, मैं बंगाल के लोगों से शांति बनाए रखने के अपील करती हूं. किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान ना दें. यह दो देशों के बीच का मामला है, केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी हम उसका समर्थन करेंगे…’
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
आपको बता दें कि बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन की जड़ आरक्षण है. दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 फीसदी आरक्षण लागू है. इसमें से 30 फीसदी आरक्षण अकेले केवल 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को मिलता है. इसके अलावा 10% आरक्षण सामाजिक-आर्थिक के तौर पर पिछड़े जिलों के लिए है और 10% महिलाओं के लिए जबकि 5 फ़ीसदी आरक्षण जातिगत अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक फीसदी दिव्यांगों के लिए है. अब प्रदर्शनकारी छात्रों को सबसे बड़ा विरोध मुक्ति संग्राम के परिवार वालों को मिलने वाला 30 फीसदी आरक्षण है. उनका कहना है कि इससे मेरिट वाले लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है बल्कि अयोग्य लोगों को सरकारी नौकरी में भरा जा रहा है. बताते चलें कि बांग्लादेश में छात्रों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिया है. वहीं, भारत सरकार की ओर से बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों को अलर्ट किया गया है, देखने वाली बात होगी कि आखिर इस सबके बाद भारत का बांग्लादेश की ओर कैसा रुख रहता है.