साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है और 2024 के लोकसभा चुनावों को जीतने के लिए पार्टियां जी तोड़ मेहनत भी कर रहीं हैं. बता दें कि बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की एक मीटिंग हुई जहां से विपक्षी दलों ने एकजुटता का संदेश दिया. इस मीटिंग में 2024 के चुनाव को लेकर चर्चा हुई. ये बैठक कुल 4 घंटे चली लेकिन इससे ही ’24’ के चुनावों को लेकर कयास लगने शुरू हो गए हैं. आइए जानते हैं कि बैठक में क्या-क्या खास रहा…
विपक्षियों की बैठक की खास बातें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में सबसे पहले अपनी बात कहने का मौका कांग्रेस पार्टी को मिला लेकिन कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने कहा कि वह सब की बात सुनने के बाद अपनी बात कहेंगे. इस हिसाब से बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सबसे पहले कहा कि, ‘व्यापक विपक्षी एकता की दिशा में पहला कदम है, 2024 तक और भी पार्टियां गठबंधन में शामिल होंगी.’ वहीं, आरजेडी के प्रमुख लालू यादव ने कहा कि, ‘राज्य की सबसे बड़ी पार्टी को नेतृत्व करना चाहिए. अन्य दलों को समर्थन देना चाहिए, उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे में कांग्रेस का खुला और लचीला रुख होना चाहिए.’ वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का कहना है कि, ‘बीजेपी के खिलाफ केवल एक संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार होना चाहिए…’
अध्यादेश पर अड़े रहे सीएम केजरीवाल
आपको बता दें कि विपक्षी दलों की बैठक में सभी नेताओं ने अपनी-अपनी राय दी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि, ‘कांग्रेस को दिल्ली अध्यादेश पर अपने निर्णय की घोषणा करनी चाहिए.’ वहीं, जब सभी नेताओं ने अपनी अपनी बात कह दी उसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने भी बैठक के दौरान अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि, ‘हम सामान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं. वहीं, अध्यादेश के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में तीखी नोकझोंक की देखने के लिए वही कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि, ‘… हमें इस लड़ाई में एक साथ रहना होगा, चाहे कुछ भी करना पड़े.’ बताते चलें कि बैठक के दौरान सभी नेताओं ने अपनी-अपनी बात कही जिसका एक तरफ निष्कर्ष ये भी निकला कि आगामी 10 या 12 जुलाई को शिमला में बैठक होगी. अब देखने वाली बात ये है कि जुलाई में होने वाली बैठक में विपक्षी दलों की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए क्या रणनीति तय की जाती है.