आप ने आज तक ठगी के बड़े – बड़े किस्से सुने होंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ठग और उसकी ठगी का ऐसा किस्सा सुनाएंगे कि आप ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा | आपने नीरव मोदी की ठगी सुनी होगी , आपने विजय मल्ल्या की ठगी सुनी होगी और इनके ठगी के किस्से सुन कर सभी के हाथ खड़े हो गए हो थे | लेकिन क्या आप ने नटवरलाल की ठगी सुनी है ? नहीं न | आज हम आपको उस ठग के बारे में बताएँगे जिसने बैंक नहीं , घर नहीं बल्कि ताजमहल , लाल किला और राष्ट्रपति भवन ही बेच, अपनी ठगी का वो नमूना पेश किया कि सबका सर चकरा गया | ये कहानी है उस ठग कि जिसने सिर्फ भारत देश के नहीं बल्कि विदेशों के बड़े – बड़े ठगों को हैरत में डाल दिया | यहाँ से लेकर सात समुन्द्र पार तक उसकी ठगी की चर्चा है लेकिन ,ये वो ठग था जिसको पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर भी कोई गम नहीं था और साथ ही इसने पुलिस से जो कहा वो सुन कर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएँगे | चलिए आपको बताते हैं कि , नटवरलाल ने पुलिस वालों से ऐसा क्या कहा था कि सब हैरान रह गए |
‘नहीं-नहीं किसने कहा कि मैंने ठगी की है? मैंने लोगों को कभी डराया-धमकाया नहीं है कि मुझे पैसे दो. लोगों ने तो हाथ जोड़कर मुझे पैसे दिए कि ‘श्रीमान’ पैसे ले लीजिए और मैंने ले लिए. इसमें अपराध क्या है?’ ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि नटवरलाल के है, उसी नटवरलाल के जिसने एक नहीं बल्कि कई बार तामहल को बेच डाला | सन 1912 में बिहार के सिवान जिले के बंगरा गावं में एक लड़के का जन्म हुआ , ये लड़का था मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव यानि मिस्टर नटवरलाल | कहा जाता है कि सबका अपना ही एक अलग हुनर होता है , कोई किसी चीज़ में कलाकार होता है तो कोई किसी चीज़ में, लेकिन कोई ठगी में भी इतनी कलाकारी दिखा सकता है ये कभी नहीं सोचा था |
लेकिन क्या आप ये नहीं जानना चाहोगे कि नटवरलाल इतना शानदार ठग बना कैसे ? तो कहानी शुरू होती है नटवरलाल के पड़ोस से , एक बार मिथिलेश को उसके पड़ोसी ने बैंक ड्राफ्ट जमा करने के लिए भेजा था | जब मिथिलेश बैंक पहुंचा तो पड़ोसी के हस्ताक्षर की ज़रूरत पड़ी और मिथिलेश यानि नटवरलाल ने अपने पड़ोसी के हस्ताक्षर हुबहू कॉपी कर लिए | लेकिन ये कहानी यहाँ नहीं रुकी बल्कि नटवरलाल ने काफी दिन तक अपने पड़ोसी के हस्ताक्षर कॉपी कर के उसके बैंक से पैसे निकले | जब पड़ोसी कि इस बात कि भनक लगी तब उसने नटवरलाल के पिता से उसकी शिकायत की जिसके बाद नटवरलाल को खूब मार पड़ी | लेकिन इसका कुछ फायदा नहीं हुआ क्योंकि नटवरलाल तब उनके बैंक से 1000 रूपये साफ़ कर दिए थे | अपने पिताजी से मार खाने के बाद नटवरलाल को गुस्सा आ गया और वो गुस्से में कोलकाता चला गया |
अब जिस किस्से का हम जिक्र करने जा रहे हैं इस किस्से ने तो उसके द्वारा ही कि गयी ठगी के सारे किस्सों को फेल कर दिया | हुआ कुछ यूं था कि , एक बार नटवरलाल के एक पड़ोस के गावं में राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद आए थे | नटवरलाल ने उनसे मिलने के इस मौके को नहीं गवाया और उनके सामने भी अपनी कलाकारी दिखाने में नहीं चूका | उसने हुबहू डा. राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर कि नक़ल कर ली | ये देख कर खुद राष्ट्रपति भी हैरान रह गए | नटवरलाल ने डा. राजेंद्र प्रसाद से कहा कि ,‘यदि आप एक बार कहें तो मैं भारत के ऊपर विदेशियों का पूरा कर्ज चुका सकता हूं और वापस कर उन्हें भारत का कर्जदार बना सकता हूं.’
जिसके बाद राष्ट्रपति ने नटवरलाल को समझाया और कहा कि तुम बहुत बड़ी प्रतिभा के मालिक हो लेकिन कभी इसका प्रयोग गलत काम में नहीं करना | इसका इस्तेमाल हमेशा अच्छे काम के लिए करो| लेकिन नटवरलाल का दिमाग सातवे असमान पर था उसका मकसद ही कुछ और था | आपको हैरानी होगी इस बात को जानकर कि नटवरलाल ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर कि कॉपी कर के राष्ट्रपति भवन को ही बेच दिया | इतना ही उसने तो संसद भवन को भी बेच दिया था , नटवरलाल ने अपनी इस कलाकारी के बलबूते पर 2 बार लाल किला और 3 बार ताज महल को भी बेच डाला था |
नटवरलाल ने ये भी कहा था कि ,‘मुझे अपनी बुद्धि पर इतना भरोसा है कि मुझे कोई नहीं पकड़ सकता है. यह तो परमपिता परमेश्वर की मर्जी है. मैं नहीं जानता उसने मेरे भाग्य में क्या लिखा है.’नटवरलाल ने ऐसे ही न जाने कितने बड़े – बड़े लोगों को चकमा दिया | समाजसेवा के बहाने बड़े – बड़े उद्धोगपतियों से चंदे के रूप में मोटी रकम निकलवा कर नौ दो ग्यारह हो जाता था | उसके ठगी के जल से टाटा , बिडला और धीरू अम्बानी भी नहीं बाख पाए |
नटवरलाल को 9 बार पुसिल द्वारा पकड़ा गया था और 8 बार वो उनके चंगुल से फरार हो निकला | उसके ऊपर 100 से ज्यादा मामलें दर्ज थे |आपको बता दें कि नटवरलाल को आखिरी बार 24 जून 1996 में देखा गया था | उसकी तबियत ठीक न होने की वजह से कोर्ट ने उसे इलाज के लिए एम्स हॉस्पिटल ले जाने के लिए कहा | तीन पुलिस वाले उसे हॉस्पिटल ले कर जा रहे थे लेकिन उसने उन्हें भी चकमा दे दिया और एक बार फिर फरार हो गया | इसके बाद नटवरलाल कभी नहीं मिला | कोई नहीं जनता वो कहाँ गया|