जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद काफी चर्चाएं हुईं. पक्ष-विपक्ष की राजनीति भी सामने आई. वहीं, अब खबर है कि सुप्रीम कोर्ट आगामी 2 अगस्त से डे-टू-डे इस पर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करने की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 2 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कई प्रक्रियागत निर्देश पारित करते हुए विभिन्न पक्षों की ओर से लिखित प्रतिवेदन और अन्य लिखित दलीले देने की समय 27 जुलाई तय की. बता दें कि केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर दाखिल हलफनामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का कहना है कि वह सिर्फ संवैधानिक मुद्दे पर ही सुनवाई करेगा.
2 अगस्त से डे-टू-डे सुनवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ से संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई करेगी. केंद्र के नए हलफनामे का इस मामले में कोई प्रभाव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों से अपना जवाब देने के लिए कहा है. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उसको लेकर जानकारी दी है कि सुप्रीम कोर्ट से आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर के हालात में कितना बदलाव आया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई तक सभी पक्षकारों को जवाब दाखिल करने को कहा है. आर्टिकल 370 पर सुनवाई फास्ट ट्रैक में 2 अगस्त से डे-टू-डे होगी.
5 अगस्त को हटाई गई थी धारा 370
आपको बता दें कि याचिकाकर्ता आईएएस अधिकारी शाह फैसल और एक्टिविस्ट शेहला रशीद ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति व्यक्त की और याचिकाकर्ताओं के रूप में उनके नाम हटा दिए. वही आर्टिकल 370 लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर के बदले हालात को लेकर सरकार ने जरूर जवाब दाखिल कर लिया है लेकिन इसको केस से जुड़े संवैधानिक सवालों के खिलाफ दलील के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. बताते चलें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया था जिसको लेकर सियासत में भी उबाल देखने को मिला था. हालांकि, अभी भी आर्टिकल 370 को लेकर काफी ख़बरें सामने आती हैं, देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इस मामले पर अगस्त से सुनवाई का आगामी लोकसभा चुनाव पर कैसा प्रभाव पड़ेगा.