कोहिनूर हीरे का वो सच जो आज तक किसी को नहीं पता , जानिए इसका पूरा इतिहास

Fact Checkकोहिनूर हीरे का वो सच जो आज तक किसी को नहीं पता , जानिए इसका पूरा इतिहास

कोहिनूर एक ऐसा हिरा जिस पर हर देश ने अपना हक़ जाताना चाहा लेकिन हर किसी को कोहिनूर मिल जाए तो उसका क्या ही मतलब रह गया | ‘कोहिनूर’ यानि आभा या रोशनी का पर्वत (पहाड़) | इतिहास में कोहिनूर की ऐसी कहानियां रहीं हैं जो आज तक किसी और हीरे जवाहरात की नहीं रहीं | आपको बता दें कि कोहिनूर पिछले 165 साल से ब्रिटेन में है और इस समय वो ब्रिटेन की महारानी के ताज की शोभा है | कोहिनूर हीरे की खोज भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश के गोलकुंडा खदानों में हुई थी | कोहिनूर को पाने की चाह तो हर किसी ने रखी लेकिन जिसने भी इस हीरे को अपने सिर सजाया उसकी सल्तनत का हमेशा के लिए अंत हो गया |

इसी बीच एक सवाल और कोहिनूर को लेकर मन में उठता है कि क्या कोहिनूर हिरा शुरू से ही भारत में था ? तो इसका जवाब है नहीं , 12वीं शताब्दी में कोहिनूर काकतीय साम्राज्य के पास हुआ करता था | वहां एक वारंगल नाम का मंदिर था , उस मंदिर में एक हिन्दू देवता की आँख में ये शोभान्वित था | लेकिन अलाउद्दीन के सेनापति मालिक काफूर ने इसे 1310 में लूट लिया था और खिलजी को उपहार में दिया था | यही से ये भारत में आया और यहा आकर दिल्ली सल्तनत के अनेक राज्यों का ताज बना | लेकिन इसके बाद इसे बाबर ने इब्राहिम लोधी से छीन लिया 1526 में ,वो भी दिल्ली की सत्ता के साथ | लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हीरे का नाम ‘कोहिनूर’ रखा किसने ? चलिए हम आपको बताते हैं |

नादिर शाह नाम के एक शासक ने 1739 में भारत आगमन किया | भारत आते ही उसने मुग़ल सल्तनत पर हल्ला बोल दिया | इसी तरह यहाँ मुगल सल्तनत का सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो गया और नादिर शाह तख्ते ताउस और कोहिनूर हीरे को अपने साथ पर्शिया ले गया | नादिर शाह ही वो व्यक्ति था जिसने इस हीरे को ‘कोहिनूर’ का नाम दिया | लेकिन कोहिनूर एक जगह इतनी आसानी से टिका रहे ऐसा होना नामुमकिन था | इसी के साथ 1747 में नादिर शाह को मार डाला गया और फिर कोहिनूर को अफगानिस्तान ले आया गया ,ये हिरा नादिर शाह के बाद अफगानिस्तान के शाहंशाह अहमद शाह दुर्रानी को मिल गया | अहमद शाह की म्रत्यु के बाद ये उनके वंशज शाह शूजा को मिला लेकिन कुछ टाइम के बाद मोहम्मद शाह ने शाह शूजा को उसके पद से ही हटा दिया |

जाहिर सी बात है ये होने के बाद शाह शूजा को क्रोध तो आया होगा और वो साल 1830 में वहां से बच कर पंजाब पहुँच गया | वो सिर्फ अकेला पंजाब नहीं पहुंचा बल्कि वो कोहिनूर को भी अपने साथ  लेकर आया | उसने वो कोहिनूर महाराणा रणजीत सिंह को उपहार में दिया | रणजीत सिंह ने खुश होकर अपनी सेना को अफगानिस्तान भेज शाह शूजा को उसकी गद्दी पावस दिलाने का निर्णय लिया | इसके बाद जब रणजीत सिंह की म्रत्यु हुई तो अंग्रेजों ने सिंखों को अपने चंगुल में फंसा लिया और वो कोहिनूर भी वो यहाँ से ब्रिटिश ले गये और वहां की महारानी विक्टोरिया को उपहार में दे दिया | तभी से अब तक ये कोहिनूर ब्रिटिश के पास है |

कोहिनूर को लेकर एक मान्यता और भी रही है, वो ये कि कोहिनूर को जिसने भी पहना है या अपनाया है उसका राज हमेशा के लिए खत्म हो गया है | इस बात को पहले किसी ने नही माना सबने इस मान्यता को झुठला दिया था पर इसके इतिहास को देखते हुए लोगों को इस बात पर यकीन होने लगा | बताया जाता है कि इस कोहिनूर हीरे को कोई महिला या संत पहने तभी ये भाग्यशाली होगा | इनके अलावा जिसने भी इस हीरे को पहना उसका शासन , सत्ता या किसी भी प्रकार की ताकत हमेशा के लिए उससे छिन जाएगी | इसका इतिहास बताता है कि इस बात में कोई तो सच्चाई रही होगी तभी ये हिरा जिसके भी पास गया उसका सब कुछ ख़त्म हो गया | इसलिए कोहिनूर को लोग शापित हिरा भी बोलते हैं |

यह बात ब्रिटिश की महारानी विक्टोरिया को भी बतायी गयी इसलिए उन्होंने यह हिरा अपने ताज में जड़वा कर खुद पहना |  साथ ही आगे के लिए भी यह बात सुनिश्चित की गयी कि ,अगर सत्ता किसी पुरुष के हाथ में भी आती है तब भी यह हिरा उनकी पत्नी के सिर सजाया जाएगा | इसी तरह यह तय हुआ कि इस ताज को हमेशा सिर्फ एक महिला ही पहनेगी | एक बार महारानी विक्टोरिया को इस हीरे की चमक कुछ कम लगी थी इसलिए इसे एक बार फिर से तराशा गया था | जिसके कारण वह 186.16 कैरेट से घट कर 105.602 कैरेट का रह गया | इस वक्त कोहिनूर की कीमत 150 हजार करोड़ रूपये है और इस समय यह महारानी एलिजाबेथ दिवतीय के ताज पर शोभान्वित है |

कोहिनूर है ही इतना कीमती की हर देश उसे पाने की इच्छा रखता है भारत के साथ साथ और भी कई देशों ने कोहिनूर पर अपना हक़ होने का दावा किया | इस हीरे ने बहुत लम्बा सफ़र तय किया है न जाने कितने हाथों में गया है | इस हीरे को ईरान , पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी अपना बताया और ब्रिटेन से वापस लेने की कोशिश की , उनसे अनुरोध किया लेकिन ब्रिटेन ने किसी की एक न सुनी और हीरे को अपने ही पास रखा |

 

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