तो ऐसे मिले थे रावण को 10 सिर , जानिए रावण के 10 दशमुख की असली कहानी

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रामायण तो सभी लोगों ने देखी है पर रामायण को देखने के बाद जो सवाल मन में उठते है उन सवालों का क्या ? रामायण एक ऐसा महाकाव्य जिसने सभी को अपने अच्छे आदर्शों के साथ जीने की सीख दी , जिसने बुराई पर अच्छाई की जीत का मतलब समझाया , रामायण जिसने नारी का सम्मान सिखाया , रामायण जिसने अपने वचनों और वादों को निभाने का सुख समझाया , रामायण जिसने मात- पिता की आज्ञा को जीवन का मतलब बताया | रामायण  सिर्फ एक काव्य नहीं है बल्कि हमारे आदर्शों , हमारी संस्कृति को भी दर्शाता है | रामायण को देखते ही न जाने लोगों के मन में कैसे – कैसे सवालों का जाल बनता है | उन्ही सवालों में से एक सवाल ,रावण के 10 सरों का भी है| आज तक ऐसा कोई नहीं होगा जिसके मन में रामायण को देखकर कोई सवाल न आया हो | लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर रावण को दस सिर मिले कैसे ?

 

इसके पीछे काफी सारी कहानियां बताई जाती हैं | जिनमें से एक कहानी ये भी बतायी जाती है कि , कुछ विद्वानों का मानना था कि रावण के 10 सिर नहीं थे बल्कि वो सिर्फ अपने 10 सिरों के होने का भ्रम पैदा करता था | इसी कारण उसका नाम दशानन पड़ा | फिर काफी लोग ये भी मानते थे कि उसे 6 दर्शन और 4 वेदों का ज्ञान था इसलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था  |

 

इसके अलावा भी एक कहानी है , रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और वो भगवान शिव को खुश करने के लिए तपस्या कर रहा था | भगवान शिव भी उसकी तपस्या देखकर काफी खुश हुए | उसी तपस्या के दौरान रावण ने अपना सिर काटकर भगवान शिव को चढ़ाया तब भगवान शिव ने खुश होकर उसका सिर उसे वापस लौटा दिया | लेकिन भगवान शिव जितनी बार उसके सिर को वापस लौटाते वो उतनी ही बार फिर से अपना सिर उनको अर्पण कर देता | रावण ने कुल मिला कर यही प्रक्रिया 10 बार की | भगवान शिव ने भी उसे 10 सिर वापस कर दिए | यही कारण था की रावण को दस सिर मिल गए |

कहा जाता है कि रावण के ये दस सिर दस बुराइयों को दर्शाते हैं काम , क्रोध , लोभ , मोह , द्वेष , पक्षपात , अहंकार , व्यभिचार , धोखा और घृणा| रावण महर्षि विश्वा और कैकसी नाम की राक्षसी का बेटा था | रावण के गले में 9 मणियों से बनी एक माला थी जो उसको उसकी माता कैकसी ने दी थी और इसी से वो अपने दस सिर होने का भ्रम पैदा कर पाता था |

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