प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में तीन दिवसीय विदेश के दौरे पर थे जहां पर 2 दिन पीएम रूस में रहे तो एक दिन ऑस्ट्रिया में. पीएम मोदी के रुस से लौटने के बाद रूस और भारत के संबंध को काफी अच्छे तौर पर देखा जा रहा है. पीएम की रूस यात्रा ने न केवल भारत और रूस के संबंधों को ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी बड़ी चर्चा को जन्म दिया. बता दें कि 5 साल बाद जब पीएम मोदी ने रूस की धरती पर कदम रखा तो उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया, साथ ही उन्हें सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित किया गया. वहीं, पीएम की रूस यात्रा से पश्चिमी देशों में खलबली मची हुई है.

पीएम की रूस यात्रा खास
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी का रूस में बेहद ही खास तरीके से स्वागत किया गया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी. पीएम को रूस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया जोकि दोनों देशों के बीच सम्मान और विश्वास को और भी मजबूत बनाता है. वहीं, पुतिन और मोदी का गर्मजोशी के साथ गले मिलना राजनीतिक तौर पर भी काफी मायने रखता है. उनका गले मिलना यह संकेत भी देता है कि रूस को पश्चिमी दबाव के संतुलन के लिए केवल चीन पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है.

भारत-रूस के रिश्ते अटूट
आपको बता दें कि बड़े मंच से भारत और रूस के खास संबंधों को दर्शाया गया है. भारत और रूस के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू था. पीएम मोदी की रूस यात्रा ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत और रूस के बीच रिश्ते सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं है बल्कि यह संबंध इतिहास, आपसे विश्वास की गहरी जड़ों पर आधारित हैं. बताते चलें कि पीएम मोदी की रूस यात्रा ने भारत और रूस के बीच संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत किया है. वहीं, ये यात्रा पश्चिमी देशों के लिए टेंशन जरूर बनी हुई है.