हरियाणा में पिछले करीब एक महीने से उस हिसाब-किताब पर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है जिसकी शुरुआत हुई 15 जुलाई से…यही वो तारीख थी जब कांग्रेस ने हरियाणा में अपने हिसाब मांगों अभियान की शुरुआत की थी.. और तब से लेकर अब तक हरियाणा में हिसाब पर सियासी वार-पलटवार जारी है. किसका हिसाब कितना सटीक है और कौन हिसाब किताब के मामले में कितना खरा है इसी को लेकर बयानबाजी जोरो पर है. बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी में हरियाणा के विकास के हिसाब को लेकर वार-पलटवार तेज हैं.
हरियाणा में ‘हिसाब’ की पॉलिटिक्स!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरियाणा में कांग्रेस बीजेपी सरकार से प्रदेश में हुए भ्रष्टाचार, बढ़ती बेरोजगारी, अपराध में बढ़ोतरी, किसानों की परेशानी और प्रदेश में बढ़ती नशाखोरी का हिसाब मांग रही है. हरियाणा कांग्रेस के नेता अलग-अलग मंचों से सरकार को इन सभी मुद्दे पर घेर रहे हैं और लगातार सरकार पर हमलावर हैं. एक ओर कांग्रेस पिछले 10 साल का हिसाब मांग रही है तो दूसरी ओर बीजेपी के नेता कांग्रेस से उनके कार्यकाल का हिसाब पूछ रहे हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी भी कांग्रेस को हर मंच से घेर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि कांग्रेस अपने 10 साल का हिसाब क्यों नहीं देती. वहीं, बीजेपी के नेताओं का दावा है कि हिसाब मांगने वाली कांग्रेस को चुनाव में जनता पूरी तरह से जवाब दे देगी..
क्षेत्रीय दल भी बना रहे जोर
आपको बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच जारी इस हिसाब की सियासत में दूसरे दलों के नेता भी पूरी तरह से कूद पड़े हैं… इनेलो की ओर से कांग्रेस और बीजेपी दोनों से ही हरियाणा के विकास का हिसाब मांगा जा रहा है…. वहीं जेजेपी के नेता भी कांग्रेस और बीजेपी को जमकर घेर रहे हैं…बताते चलें कि कांग्रेस के हरियाणा मांगे हिसाब को लेकर सियासत लगातार जारी है. बहरहाल, अब देखना ये होगा कि हिसाब किताब की इस सियासी लड़ाई के बीच विधानसभा चुनाव में जनता को किसका हिसाब पंसद आता है और किसके दावों पर जनता जीत की मुहर लगाती है.