‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है जिसके बाद से सियासी हलकों में लगातार विरोध तेज हो गया है. कैबिनेट द्वारा हरी झंडी दिखाने के बाद कांग्रेस समेत 15 पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया है. बता दें कि कांग्रेस ने इसे अव्यवहारिक और असंगत बताया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस योजना को जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया है.
कांग्रेस ने जताया विरोध
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते समय कहा कि, ‘यह सफल नहीं होगा, जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी…’ वहीं, विपक्षी दलों का मानना है कि, एक साथ लोकसभा-विधानसभा चुनाव कराना न केवल व्यावहारिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण बल्कि इससे देश की संघीय ढांचे पर भी असर पड़ सकता है. इन दलों का तर्क है कि, अलग-अलग राज्यों के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भिन्नता है और इन सभी को एक साथ चुनावों के जरिए संभालना कठिन होगा. इस पर खड़गे ने जोर देकर कहा कि, ‘ये योजना केवल सरकार द्वारा अपनी नीतियों से जनता का ध्यान हटाने की एक चाल है…’
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई रिपोर्ट
आपको बता दें कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि, सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई रिपोर्ट को मंत्रिमंडल के सामने रखना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था. बताते चलें कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर मोदी कैबिनेट की मुहर लग गई है, देखने वाली बात होगी कि आखिर ये कब तक लागू होता है.