दिल्ली आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर जेल से बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है. सीएम केजरीवाल ने रविवार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, 2 दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं, जब तक जनता मुझे चुनकर दोबारा सीट पर नहीं भेजती मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. बता दें कि भले ही यह फैसला सबको सरप्राइज लग रहा है लेकिन यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है. केजरीवाल ने एक इस्तीफे से कई सियासी निशाना साधने का बड़ा दांव चला है.

इस्तीफा देने से जाएगा अच्छा संदेश?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को अपना फायदा होने की उम्मीद दिख रही है. सीएम केजरीवाल के साथ-साथ मनीष सिसोदिया ने दिया चुनाव तक कोई पद न लेने का निर्णय लिया है. इस तरह बीजेपी को भी अब नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी क्योंकि वह अभी तक 2025 के लिहाज से चुनाव की प्लानिंग कर रही थी. केजरीवाल अब महाराष्ट्र और झारखंड की सियासी तपिश के साथ दिल्ली का चुनाव कर लेना चाहते हैं ताकि बीजेपी महाराष्ट्र जैसे राज्य में उलझी रहेगी और दिल्ली विधानसभा चुनाव पर उस तरह फोकस नहीं कर सकती है. अब इसका सियासी फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है. हालांकि, एक बात यह भी है कि केजरीवाल को यह लग रहा है कि उनके इस्तीफे से जनता के बीच एक अच्छा मैसेज जाएगा जिसका उन्हें आगे राजनीति में लाभ मिल सकेगा.

हरियाणा विधानसभा चुनाव में खेलेंगे खेला?
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान अदालत से जमानत मिलने पर कुछ दिनों के लिए बाहर आए केजरीवाल ने एक अलग नैरेटिव सेट कर दिया था. बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को सफाई देने के लिए उतरना पड़ा था जब उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी अगर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ गए तो योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटा देंगे. इसी तरह वह हरियाणा में भी सियासी चाल चल सकते हैं. बताते चलें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है, देखने वाली बात होगी कि आम आदमी पार्टी हरियाणा में क्या खास कमाल करती है.